मंगलवार, 23 जुलाई 2024

बुढ़ापे की होली

 

बचपन की होली में तन भीगता था!

रंग की बौछार का

पानी की फुहार का

कीचड़ की मार का

मज़ा उन दिनों हर तरफ़ दीखता था

बचपन की होली में तन भीगता था!

 

जवानी की होली में मन भीगता था!

उसकी मुस्कान के

ग़रीब दास्तान के

दुनिया-जहान के

नशे की ख़ुमारी में दिन बीतता था

जवानी की होली में मन भीगता था!

 

बुढ़ापे की होली में भीगी हैं पलकें!

अपनों की विदाई के

बच्चों की जुदाई के

वक़्त की ढिढाई के

घाव भरते भी हैं तो बहुत हल्के-हल्के

बुढ़ापे की होली में भीगी हैं पलकें!

कोई टिप्पणी नहीं: