बुधवार, 7 अगस्त 2024

दुर्गा रूप 8 - महागौरी

 धवल वर्ण है, धवल वस्त्र हैं, धवल है उनका वाहन

महागौरी के चरणकमल में तन-मन हो जाता पावन

सबका तन-मन हो जाता पावन

 

दुख-दोष, पाप से टकराना, जीवन का ही तो पहलू है

सुख हवा का ठंडा झोंका है, तो दुख भीषण जलती लू है

हो हार-जीत में निर्विकार जो, सफल है बस वो ही जीवन

महागौरी के चरणकमल में तन-मन हो जाता पावन

सबका तन-मन हो जाता पावन

 

पार्वती का वो जप-तप, काली का वो भीषण संग्राम

तन-मन हैं किन्तु वश में और अधरों पर फैली है मुस्कान

महागौरी की शान्त छवि लगती है कितनी मनभावन

महागौरी के चरणकमल में तन-मन हो जाता पावन

सबका तन-मन हो जाता पावन

 

इक हाथ में बाजे डमरू, इक हाथ त्रिशूल महान

इक हाथ अभय है देता, इक हाथ दे वर का दान

श्याम-श्वेत के अनुभव का जीवन में होता प्लावन

महागौरी के चरणकमल में तन-मन हो जाता पावन

सबका तन-मन हो जाता पावन

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