बुधवार, 7 अगस्त 2024

दुर्गा रूप 7 - कालरात्रि

 अपने को मत छोटा समझ

अपने को मत कायर बना

मन की कलुषता को मिटा

भयमुक्त बन, उठ कर दिखा

दुर्गम को संभव है किया

मानव ने ही संसार में

मत हार से तू हार जा

है खड्ग तेरे हाथ में

विश्वास अपने पर जमा

अवगुण को सद्गुण दे बना

माँ कालरात्रि की तरह

शुभ काम कर और जीत जा

शुभ काम कर और जीत जा!

 

माँ की छवि पर ध्यान दे

हैं केश उनके यूँ खुले

धरती को ढँक लेती है ज्यों

मेघों की विस्तृत श्रृंखला

ब्रह्मांड गोचर नेत्र में

ज्वाला धधकती श्वास में

हर पाप का, अज्ञान का

विध्वंस करती हैं सदा

पर हाथ को भी लक्ष्य कर

और अभय हो कर मुस्कुरा

माँ कालरात्रि की तरह

शुभ काम कर और जीत जा

शुभ काम कर और जीत जा!

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