बुधवार, 7 अगस्त 2024

दुर्गा रूप 6 - कात्यायनी

 हर बिटिया की माँ होती है

पर छठे रूप में नवदुर्गा

ख़ुद बिटिया बन कर आई हैं

कात्यायनी जी आई हैं

कात्यायनी जी आई हैं

 

प्यारी बिटिया के जैसी हैं

इक कमल सम्हाले बैठी हैं

इस कृपा लुटाती बेटी ने

सोने जैसी छवि पाई है

कात्यायनी जी आई हैं

 

बिटिया मृदुता की सागर है

बिटिया का करना आदर है

क्रोधित मत करना बिटिया को

उसने तलवार उठाई है

कात्यायनी जी आई हैं

 

करते मधु अर्पित बिटिया को

नारंगी रंग है प्रिय इनको

संसार के झंझावातों से

बिटिया ने मुक्ति दिलाई है

कात्यायनी जी आई हैं

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